यह भी आपका अपमान ही है! इसको पहचाने
अपमान को पहचानने के लिए चंद ऐसी गतिविधियां हैं, जिनसे आप जानेअनजाने दूसरों का अपमान कर बैठते हैं। स्पष्टीकरण की यहां कोई भूमिका हो ही नहीं सकती। मान न देना रिश्तों को तोड़ सकता है।
‘किसी की परवाह करने का सबसे सशक्त तरीक़ा सम्मान करना है।’ जब हम ऐसे व्यवहार करते हैं, जिससे दूसरे का अपमान हो, तो एक तरह से हम उनसे कहते हैं कि हमें अपने जीवन में आपके होने की क़द्र नहीं है। इससे विश्वास क्षतिग्रस्त होता है, नकारात्मकता उत्पन्न होती है और रिश्तों की अहमियत घट जाती है।
यह भी आपका अपमान ही है! इन सात गतिविधियों को ध्यान से समझिए…
1. किसी की अवहेलना करना, भी अपमान है।
आप किसी से मिलते हैं, उससे ढेर सारी बातें करते हैं, लगातार संपर्क में बने भी रहते हैं और फिर अचानक एक दिन उसकी अवहेलना करने लगते हैं। न कोई मैसेज, न कोई कॉल, न मुलाकात। सोशल मीडिया के दौर में यह काफ़ी आम है।
दूसरा क्या सोच रहा होगा, उसे अपने अपमान की कोई वजह भी नहीं मालूम होगी, इसी वजह से वो लगातार शायद संदेश भेजता हो या फोन करता हो। स्वस्थ दोस्तियां या रिश्ते आपसी विश्वास और ईमानदार संवाद पर टिके होते हैं।
स्पष्ट बात करना- भले ही उसके बाद संवाद बंद कर दिया जाए ,बेहतर तरीका है। इससे आपका अपना मान भी बना रहेगा।
2. दूसरों का समय नष्ट करना, भी अपमान है।
अगर आपने किसी से तयशुदा समय पर मिलने का वादा किया है, तो वहां देर से पहुंचकर, उस व्यक्ति का समय बर्बाद करना, एक तरह का अपमान ही है। एक कंपनी में हुए सर्वे में कर्मचारियों ने अपने चुनिंदा नापसंद रवैए में सबसे ऊपर समय की बेकद्री को रखा था।
उनका कहना था कि जब कोई उन्हें दो-दो घंटे इंतजार करवाता है, तो उसके प्रति अविश्वास अपने आप ही उपज जाता है। जो अपनी बात पर पूरे नहीं उतरते हों, दूसरे के समय को फालतू समझते हों, ऐसे लोग अपनी विश्वसनीयता खो बैठते हैं।
समय की पाबंदी ऐसी आदत है, जो इंसान को ऐतबार के क़ाबिल बनाए रखती है, बल्कि मान देने वाले की पदवी भी दिलवाती है।
3. उपलब्धियों को कम आंकना
हर इंसान का दूसरों की सफलता पर प्रतिक्रिया देने का अपना अलग अंदाज होता है। और यह अंदाज काफ़ी कुछ कह जाता है।
मनोविशेषज्ञों के आकलन के हिसाब से, कोई आपकी कामयाबी पर जैसी प्रतिक्रिया देता है, उससे आपके प्रति उनके भाव व मान का प्रमाण मिल जाता है। ‘वाह, पूरे नंबर ले आए !
पेपर आसान रहा होगा।’ ऐसी टिप्पणियां करने वाले उपलब्धियों को नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं, जो अपमान के बेहद कड़वे घूंट की तरह है।
किसी की सफलता पर सचमुच में खुश होना उसको ही खुश नहीं करता, आपकी छवि भी निखारता है क्योंकि आप ऐसे इंसान साबित होते हैं, जो दूसरों की खुशी में ख़ुश होना जानता है।
3. उपलब्धियों को कम आंकना
हर इंसान का दूसरों की सफलता पर प्रतिक्रिया देने का अपना अलग अंदाज होता है। और यह अंदाज काफ़ी कुछ कह जाता है।
मनोविशेषज्ञों के आकलन के हिसाब से, कोई आपकी कामयाबी पर जैसी प्रतिक्रिया देता है, उससे आपके प्रति उनके भाव व मान का प्रमाण मिल जाता है। ‘वाह, पूरे नंबर ले आए !
पेपर आसान रहा होगा।’ ऐसी टिप्पणियां करने वाले उपलब्धियों को नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं, जो अपमान के बेहद कड़वे घूंट की तरह है।
किसी की सफलता पर सचमुच में खुश होना उसको ही खुश नहीं करता, आपकी छवि भी निखारता है क्योंकि आप ऐसे इंसान साबित होते हैं, जो दूसरों की खुशी में ख़ुश होना जानता है।
4. डिजिटल मल्टीटास्किंग
स्मार्टफोन ने हमें एक साथ कई लोगों से जुड़े रहने का जरिया दे दिया है। आप एक साथ दो-तीन लोगो को मैसेज कर सकते हो, कोई मेल लिख सकते हैं और संभव है उसी बीच कुछ पढ़ भी रहे हो।
लेकिन अगर उसी समय कोई आपके सामने बैठा है आपसे बात करने की कोशिश कर रहा हो, तो आपकी यह “व्यस्तता”, उसका अपमान करने जैसा ही है।
वह जो भी कह रहो हो या आपसे समय लेकर आपसे मिलने आया हो, उसे सुनने के बजाय आप अपनी व्यस्तता में डूबे है, जिसका तात्पर्य है “तुम्हारे होने, न होने से मेरा कोई मतलब नहीं है।” जब हम आभामी और वास्तविक दुनिया की गफलत में डूबते हैं, तो हमेशा वास्तविक दिल ही दुखाते हैं।
कोई आपकी कितनी परवाह करता है, इसका पता इस बात से चलता है कि आपसे बात करते समय वो अपने फोन या लैपटॉप से कितनी दूरी रखता है।
5. किसी की औंधी प्रशंसा करना
दफ्तर में नियुक्ति के कुछ ही दिनों में मिली उपलब्धि पर कुछ लोग ऐसा कहते मिल सकते हैं- ‘बड़े कम दिनों में तरक्की कर ली! तुम जैसे नवोदित के लिए हैरतअंगेज है। आपको शायद यह प्रशंसा लगे लेकिन यह एक तरह का अपमान ही है।
कमाल की ड्रेस है तुम्हारी, इस अवसर पर ऐसे प्रयोग केवल तुम्ही कर सकती हो। यह जुमला तारीफ नहीं है। हालांकि, किसी के परिधान पर टिप्पणी स्वागतयोग्य नहीं हो सकती, लेकिन इस तरह घुमाकर की गई आलोचना भी स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए।
अगर आपको किसी बात को मजेदार शब्दों से सजाना अच्छा लगता है, तो शब्दों का चयन संभालकर करें।
6. दूसरों की बात काटना
जब आप किसी की बात को पूरा होने नहीं देते हैं, बीच में बोल पड़ते हैं, तो साफ जाहिर कर देते हैं कि आपके लिए सामने वाले की बात राय, विचार की कोई अहमियत नहीं और आपके विचार उनसे बेहतर है।
आप अपनी बात बीच में ही रखकर, यह साफ कर देते हैं कि आपका बोल लेना काफी है, सामने वाले को कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। यह स्पष्टतः दूसरे का अपमान है। इतना ही नहीं, इससे आपके घमंडी होने की छवि बनती है, साथ ही आप दूसरों पर हावी होने वाले और स्व अनुशासन में जबर्दस्त कमी रखने वाले शख्स हैं।
अगर कोई दूसरे की पूरी बात सुनता हो, उस पर गौर करता हो, तो उससे संवाद करने में लोगों को संतुष्टि मिलती है।
7. भावनाओं का अनादर
हर व्यक्ति परिस्थितियों का अपने ढंग से सामना करता है। कोई परेशानियां छुपा जाता है, तो कोई व्यक्त करके उसे संभालता है। अगर कोई व्यथित है, अपने भाव दिखा रहा है, तो उसे कहना कि ‘बेकार में ही परेशान हो रहे हो। यह भी कोई परेशान होने की बात है?” या कोई अपने वरिष्ठ से अपने भय की बात शेयर कर रहा है और वह उसे कह रहे हैं- “ऐसा तो होता रहता है, छोड़ो यह बात। उसकी परिस्थिति और भावनाओं की बेकद्री ही है।
कोई खास भाव से गुजर रहा है, उसे उसकी मनःस्थिति में अकेला छोड़ना फिर भी बेहतर है, लेकिन उसकी सोच को ही नकार देना या बाधित कर देना, उसका अपमान करना ही है।